दुष्कर्म का शिकार हुई नाबालिग गर्भवती लड़कियों की, देखभाल की जिम्मेदारी उठाएगी सरकार
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने दुष्कर्म की शिकार होकर गर्भवती हुई नाबालिग लड़कियों के लिए बड़ा और संवेदनशील कदम उठाया है। राज्य सरकार अब ऐसी पीड़ित बालिकाओं की देखभाल, शिक्षा, पुनर्वास और नवजात शिशु के भरण-पोषण की पूरी जिम्मेदारी उठाएगी।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि यह पहल केंद्र सरकार की 100 प्रतिशत वित्त पोषित योजना के तहत की जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पीड़ित बालिकाओं को न केवल सुरक्षा और चिकित्सा सहायता देना है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी है।
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योजना की मुख्य बातें
- 23 साल की उम्र तक 4000 रुपये मासिक पोषण भत्ता।
- पीड़िता यदि शिशु को रखना नहीं चाहती तो उसे शिशु गृह या विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (SAA) को सौंपा जा सकता है।
- शिशु को 6 वर्ष तक SAA और आवश्यकता होने पर 18 वर्ष तक संस्थागत देखभाल में रखा जा सकता है।
- बच्चे और मां दोनों का आधार और जन्म प्रमाण पत्र सरकार द्वारा जारी किया जाएगा।
- प्रत्येक जिले को 10 लाख रुपये का बजट, अभी तक तीन जिलों में एक-एक लाख रुपये जारी।
- शिक्षा, कानूनी सहायता, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, चिकित्सा और पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
- बीमा कवर और मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत संस्थागत या गैर-संस्थागत देखभाल।
- विशेष मामलों में बाल कल्याण समिति की अनुशंसा पर एकमुश्त 6000 रुपये की अतिरिक्त सहायता राशि भी।
राज्य में अभी 72 नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताएं गर्भवती
राज्य में इस समय कुल 72 किशोरियां ऐसी हैं जो दुष्कर्म की शिकार होकर मां बनने वाली हैं। सरकार का प्रयास है कि इन सभी को तत्काल सहायता मिले और उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिल सके। यह योजना केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि पीड़िताओं को समाज में फिर से स्थापित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।